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फसल - लेखनी प्रतियोगिता -27-May-2022

दया, परोपकार के बीज बोते हुए जाएँ
सौहार्द की मिट्टी व खाद उस पर बिखराएँ।

आओ सब मिलकर ऐसी फसल उगाएँ 
दाने-दाने में अतुलित प्रेम रस भर जाएँ।

फसल की हरियाली मन में उत्साह जगाए
उसका लहराना दिल को हर्षित कर जाए।

सूने आँगन में जैसे शिशु मन को बहलाए
हमारी प्रेम फसल लोगों के जीवन महकाए।

अपनी फसल हम एकता के जल से सींचे
विश्वबंधुत्व की भावना से भी रहे न रीते।

फसल जहाँ भी जाए आशा की किरण जगाए
निराशा की भूख मिटा आत्मा तृप्त कर जाए।

जिस दिन ऐसी फसल सम्पूर्ण विश्व में लहराएगी
वसुधैव कुटुंकम की भावना दिलों में जगह पाएगी।

डॉ अर्पिता अग्रवाल 

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10 Comments

Ayaansh Goyal

05-Jun-2022 02:23 PM

Acchi Rachna

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Joseph Davis

28-May-2022 07:42 PM

Nyc

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Shnaya

28-May-2022 12:41 PM

बेहतरीन

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